पेगासस जासूसी मामला (Pegasus Snooping Case) का मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका दायर कर कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल (SIT) द्वारा जांच कराने और सॉफ्टवेयर की खरीद पर रोक लगाने की मांग की गई है. याचिका में अनुरोध किया गया है कि पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, नेताओं और अन्य की इजराइली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित रूप से जासूसी कराए जाने की खबरों की एसआईटी द्वारा जांच कराई जाए.
वकील एम एल शर्मा द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि पेगासस कांड गहरी चिंता का विषय है और यह भारतीय लोकतंत्र, न्यायपालिका और देश की सुरक्षा पर गंभीर हमला है. व्यापक स्तर और बिना किसी जवाबदेही के निगरानी करना ‘नैतिक रूप से गलत’ है. याचिका में कहा गया है, ‘निजता कुछ छुपाने की इच्छा नहीं होती. यह स्वयं की ऐसी जगह होती है, जहां हमारे विचार एवं हमारा अस्तित्व किसी ओर के उद्देश्यों के साधन नहीं होते हैं. यह गरिमा के लिए आवश्यक तत्व है.’
याचिका में कहा गया है कि पेगासस का उपयोग केवल बातचीत सुनने के लिए नहीं होता, बल्कि इसके उपयोग से व्यक्ति के जीवन के बारे में पूरी डिजिटल जानकारी हासिल कर ली जाती है और इससे ना केवल फोन का मालिक असहाय हो जाता है, बल्कि उसकी संपर्क सूची में शामिल हर व्यक्ति ऐसा महसूस करता है. इसमें कहा गया है कि जासूसी संबंधी इस खुलासे से राष्ट्रीय सुरक्षा पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि निगरानी प्रौद्योगिकी विक्रेताओं अत्यधिक बढ़ोतरी वैश्विक सुरक्षा और मानवाधिकार के लिए समस्या है.
जनहित याचिका में दावा किया गया है कि ऐसा बताया जा रहा है कि एनएसओ ग्रुप कंपनी के ग्राहकों ने 2016 के बाद से करीब 50,000 फोन नंबर को निशाना बनाया है. इसमें कहा गया है, ‘पेगासस केवल निगरानी उपकरण नहीं है. यह एक साइबर-हथियार है जिसे भारतीय सरकारी तंत्र के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है. भले ही यह आधिकारिक हो (जिसे लेकर संशय है), लेकिन पेगासस का इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है.’
याचिका में अनुरोध किया गया है कि इस कांड की जांच और राजनीतिक हित साधने के लिए 2017 के बाद से न्यायाधीशों, विपक्ष के नेताओं, राजनीतिक लोगों, कार्यकर्ताओं, सलाहकारों और अन्य की कथित जासूसी करने एवं पेगासस खरीदने वाले मंत्रियों और सभी आरोपियों के खिलाफ जांच करने और अभियोग चलाने के लिए शीर्ष अदालत की निगरानी में एसआईटी का गठन किया जाए. याचिका में जासूसी के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर को खरीदने को अवैध एवं असंवैधानिक करार देने का अनुरोध किया गया है.
मीडिया संस्थानों के एक अंतरराष्ट्रीय संगठन ने खुलासा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस (Pegasus) के जरिए भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और अधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर संभवत: हैक किए गए हैं. सरकार ने सोमवार को लोकसभा में नेताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों के खिलाफ पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग कर जासूसी करने के आरोपों को साफ तौर पर खारिज कर दिया. सरकार ने कहा कि देश के कानून के तहत नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था है ऐसे में अवैध निगरानी संभव नहीं है और आरोप लगाया कि ऐसा करके देश के लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है.
(Disclaimer: यह खबर सीधे सिंडीकेट फीड से पब्लिश हुई है. इसे Rang De Basanti टीम ने संपादित नहीं किया है.)