बेहद इमोशनल है फिल्म ‘ग़दर’ की असली कहानी, पढ़कर आपको भी आ जाएगा रोना !

15 जून 2001 को रिलीज हुई फिल्म गदर: एक प्रेम कथा सिनेमा के इतिहास में बेहतरीन फिल्मों में शुमार की जाती है. फिल्म की दमदार कहानी से लेकर कलाकारों की एक्टिंग, डायलॉग, गाने हर चीज़ उम्दा थी जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया लेकिन क्या आप गदर की असली कहानी से वाकिफ हैं? चलिए आपको बताते हैं…

साल 2001 में रिलीज हुई फिल्म ‘गदर: एक प्रेम कथा’ उस समय की बहुचर्चित फिल्मों में से एक थी. फिल्म में सनी देओल और अमीषा पटेल मुख्य भूमिका में थे. ‘गदर’ में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय की प्रेम कहानी को दिखाया गया था जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस फिल्म की कहानी असल घटना से प्रेरित थी. जी हां, यह कहानी है बूटा सिंह और जैनब की और बात है सन 1947 की, यह वह समय था जब देश बंटवारे की आग में जल रहा था.

बताया जाता है कि एक दिन बूटा अपने खेत में काम कर रहा था तभी उसने देखा कि कुछ लड़के, एक लड़की के पीछे पड़े हैं.बिलकुल फ़िल्मी अंदाज़ में वह लड़की दौड़ती-भागती बूटा से मदद मांगती है और बूटा द्वारा मदद करने के साथ ही दोनों की मोहब्बत का सिलसिला चल पड़ता है.दोनों आगे चलकर शादी कर लेते हैं और उन्हें एक बच्ची होती है.

हालांकि कहानी में असली ट्विस्ट तब आता है जब भारत-पाकिस्तान बंटवारे में पाकिस्तान जा चुके जैनब के घर वालों को उनकी बेटी के बारे में पता चलता है. जिसके बाद जैनब को कुछ दिनों तक भारत के एक रिफ्यूजी कैंप में रखने के बाद पाकिस्तान भेज दिया जाता है और बूटा और उसकी बेटी यहीं हिंदुस्तान में रह जाते हैं.

आगे चलकर जैनब और बूटा की कहानी तब और दर्दनाक मोड़ ले लेती है, जब बूटा अपनी पत्नी को खोजता हुआ पाकिस्तान जा पहुंचता है और यह पाता है कि जैनब अब किसी और की हो चुकी है.बूटा की लाख मिन्नतों के बावजूद जैनब उसके साथ हिंदुस्तान वापस लौटने से मना कर देती है. जैनब के इस तरह ना कहने से आहत बूटा, लाहौर में ट्रेन के आगे कूदकर जान दे देता है. आपको बता दें कि लाहौर के मियां साहिब कब्रिस्तान में आज भी बूटा की मज़ार मौजूद है.

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