सेनारी नरसंहार में सबको बरी करने के फैसले की सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

18 मार्च 1999 की रात प्रतिबंधित नक्सली संगठन एमसीसी ने सेनारी गाँव को घेर लिया था। मर्दों को खींचकर बाहर निकाला। लाइन में खड़ा कर बारी-बारी से सबका गला काटा गया और पेट चीर दिया था।

सेनारी नरसंहार (Senari Massacre) को लेकर बिहार सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मँजूर कर लिया है। बिहार सरकार ने सभी आरोपितो को बरी किए जाने के पटना हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से सबसे पहले सभी 13 बरी आरोपितों को याचिका की कॉपी देने को कहा है। साथ ही सभी को नोटिस भेजने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि पटना हाई कोर्ट ने 22 मई को निचली अदालत से दोषी ठहराए गए 13 आरोपितों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। साथ ही सभी को तुरंत जेल से रिहा करने का आदेश दिया था। 

जिला कोर्ट ने 10 दोषियों को फाँसी और तीन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। जिला कोर्ट के फैसले को पटना हाई कोर्ट के जस्टिस अश्विनी कुमार और अरविंद श्रीवास्तव की पीठ ने रद्द कर दिया। इस केस में कुल 70 लोगों को आरोपित बनाया गया था, जिनमें से 4 की मौत हो चुकी है। बिहार सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक की माँग करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत से मामले के निपटारे तक सभी 13 को आत्मसमर्पण करने का निर्देश देने की अपील की थी।

सेनारी में क्या हुआ था उस दिन

18 मार्च 1999 की रात प्रतिबंधित नक्सली संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) के उग्रवादियों ने सेनारी गाँव को घेर लिया। 500-600 उग्रवादी रात के वक्त गाँव में घुसे। घरों से मर्दों को खींचकर बाहर निकाला गया। उन्हें तीन ग्रुप में बाँटकर गाँव के बाहर ले जाया गया। रिपोर्टों के अनुसार लाइन में खड़ा कर बारी-बारी से सबका गला काटा गया और पेट चीरा गया था।

भास्कर को 5 साल पहले इस हमले में बचे कुछ लोगों ने आपबीती बताई थी। राकेश शर्मा ने बताया था कि हमलावर धारदार हथियार से एक-एक कर सबको गर्दन रेतकर जमीन पर गिरा रहे थे। उन्होंने बताया था कि हमलावर नशे में थे जिसकी वजह से उनकी जान बच गई थी। पेट पर गहरे वार की वजह से राकेश की आँत का कुछ हिस्सा बाहर आ गया था। वहीं संजय ने बताया था कि एक हमलावर ने उन पर भी वार किया, लेकिन वे किसी तरह से बच गए। जल्दबाजी में हमलावरों ने उन्हें दूसरे झटके में बिना काटे शवों के ढेर में धकेल दिया था।

इस नरसंहार में मरने वाले लोग भूमिहार थे। 300 घर वाले इस गॉंव में 70 भूमिहार परिवार रहते थे। उस समय बिहार ने इस तरह के कई नरसंहार देखे थे। ऐसे ही एक नरसंहार के कारण 1998 में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। लेकिन कॉन्ग्रेस के विरोध के कारण 24 दिनों में ही दोबारा राबड़ी सरकार बहाल हो गई थी।

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(Disclaimer: यह खबर सीधे सिंडीकेट फीड से पब्लिश हुई है. इसे Rang De Basanti  टीम ने संपादित नहीं किया है.)

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