नई दिल्ली: भारत ने अफगानिस्तान में बिगड़ते सुरक्षा हालात के मद्देनजर कंधार के अपने राजनयिक मिशन को अस्थाई तौर पर बंद करने का फैसला किया है. इस निर्णय के बाद शनिवार को कंधार में तैनात करीब 50 राजनयिकों को सुरक्षाकर्मियों को भारतीय वायुसेना के विमान से दिल्ली लाया गया.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक यह फैसला कंधार में सुरक्षा स्थितियों को देखते हुए लिया गया है. सुरक्षा हालात ठीक होने पर भारतीय कर्मचारी वापस कंधार लौट सकेंगे. इस बीच कंधार मिशन को स्थानीय अफगान कर्मचारी संभालेंगे. वही आवश्यक सेवाएं काबुल स्थित भारतीय दूतावास से मुहैया कराई जाएंगी. ध्यान रहे कि अफगानिस्तान में बिगड़ते हालात के मद्देनजर भारत पहले ही जलालाबाद और है रात के अपने कॉन्सुलेट को बंद कर चुका है.
सुरक्षा हालात को देखते हुए कंधार के कॉन्सुलेट को बंद किया गया
सूत्रों के अनुसार इस बात का खतरा बढ़ा है कि अफगानिस्तान में तालिबानी लड़ाकों के साथ शामिल लश्कर और जैश के आतंकी भारत के हितों को निशाना बनाएं. लिहाज़ा खराब सुरक्षा हालात को देखते हुए ही फिलहाल कंधार के कॉन्सुलेट को बंद किया गया है. हालांकि चार दिन पहले ही विदेश मन्त्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा था कि भारत अफगानिस्तान में अपने मिशन को बंद नहीं करने जा रहा है.
हालांकि सूत्र बताते हैं कि सरकार में उच्च स्तरीय मंथन और सुरक्षा आकलन के बाद यह निर्णय लिया गया. इस कवायद में विदेश मन्त्रालय के साथ साथ रक्षा मंत्रालय, एनएसए अजीत डोवाल का कार्यालय और गृह मंत्रालय भी शरीक था. इसके बाद ही फैसला हुआ कि भारतीय वायुसेना का विमान भेजकर सभी भारतीय कर्मचारियों को सुरक्षित निकाला जाए.
भारतीय राजनययिक मिशनों को आतंकी हमलों का निशाना बनाया जा चुका है
बहरहाल, भारत की आशंकाएं बेवजह नहीं हैं क्योंकि इससे पहले क़ई बार अफगानिस्तान में भारतीय राजनययिक मिशनों को आतंकी हमलों का निशाना बनाया जा चुका है. साल 2014 में कंधार मिशन पर हमला हुआ था. वहीं 2008 में काबुल स्थित भारतीय दूतावास पर आत्मघाती हमला किया गया था जिसमें भारत के तत्कालीन डिफेंस अताशे ब्रिगेडियर रवि दत्त मेहता जैसे वरिष्ठ अधिकारी की जान गई थी. वहीं 2010 में काबुल दूतावास हमले में भारतीय सेना के दो मेजर रैंक अधिकारियों समेत 10 लोग मारे गए थे.
अफगान तालिबान के साथ पाकिस्तानी आतंकियों की साठगांठ का एक ताजा सबूत अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के विशेष सचिव अज़ीज़ अमीन ने सोशल मीडिया पर साझा किया. इस वीडियो में अफगानिस्तान में सुरक्षाबलों के साथ लड़ाई में मारे गए पाकिस्तानियों की लिवाने के लिए लोगों की भीड़ पेशावर में जमा हुई हुई थी. अमीन ने वीडियो के साथ टिप्पणी करते हुए कहा कि हम तालिबान से लड़ रहे हैं या पाकिस्तान से.
तालिबानी लड़ाके अफगानिस्तान के करीब 85 फीसद इलाके पर कब्जा कर चुके हैं
अमेरिकी सेनाओं की वापसी के मद्देनजर अफगानिस्तान के हालात गम्भीर अस्थिरता की तरफ बढ़ रहे हैं. तालिबानी लड़ाके अफगानिस्तान के करीब 85 फीसद इलाके पर कब्जा कर चुके हैं जिसमें ईरान और तुर्कमेनिस्तान से सटी सीमाओं के बॉर्डर पोस्ट भी हैं. ऐसे में जनकारों का मानना है कि 31 अगस्त को अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी पूरा होने के कुछ ही दिनों में काबुल पर भी तालिबानी कब्जा हो जाये तो कोई अचरज नहीं होगा.
(Disclaimer: यह खबर सीधे सिंडीकेट फीड से पब्लिश हुई है. इसे Rang De Basanti टीम ने संपादित नहीं किया है.)