पंजाब विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सिद्धू की सहायता के लिए चार कार्यकारी अध्यक्षों की भी नियुक्ति की है। नये कार्यकारी अध्यक्ष हैं… संगत सिंह गिलजियां, सुखविंदर सिंह डैनी, पवन गोयल, कुलजीत सिंह नागरा। पार्टी प्रदेश कांग्रेस समिति के निवर्तमान अध्यक्ष सुनील जाखड़ के योगदान की सराहना करती है।
अमृतसरः कांग्रेस की पंजाब इकाई के नवनियुक्त अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने बुधवार को अमृतसर पहुंचने पर सिद्धू का जोरदार स्वागत हुआ।
आपको बता दें कि पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव है। पंजाब में कुल सीट 117 हैं। पंजाब में कांग्रेस के पास 80 विधायक हैं। स्वागत समारोह में 80 में से 65 विधायक पहुंचे। सिद्धू ने मंगलवार को शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां का दौरा कर उनके स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की थी।
पंजाब में अभी दंगल खत्म नहीं हुआ है। राज्य के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि जबतक नवजोत सिंह सिद्धू माफी नहीं मांग लेते हम उनसे मिलेंगे नहीं। कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी की पंजाब इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया था।
अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के मुख्य प्रवेश स्थल पर पहुंचने पर सिद्धू का कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शहर में कई स्थानों पर उनके पोस्टर लगाए थे। सिद्धू बुधवार को अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में मत्था टेका।
नवांशहर में विधायक कुलजीत सिंह नागरा, राजकुमार वेरका, अंगद सैनी, सुखपाल भुल्लर, इंद्रबीर सिंह बोलारिया और गुरप्रीत सिंह भी सिद्धू के साथ थे। सिद्धू के दौरे को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई। कुलजीत सिंह नागरा पंजाब के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं।
सिद्धू ने मीडिया को ‘पंजाब मॉडल’ के बारे में बताते हुए कहा कि इससे राज्य फिर से समृद्ध होगा। उन्होंने कहा, ”कांग्रेस आलाकमान द्वारा दिया गया 18 सूत्री कार्यक्रम हर पंजाबी को भागीदार बनाएगा। जनता की शक्ति से राज्य का विकास होगा।”
पंजाब में 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए सिद्धू ने पिछले कुछ दिनों में समर्थन जुटाने के अपने प्रयास तेज कर दिये हैं और कई विधायकों और नेताओं से मुलाकात की है। इस फैसले के साथ ही पार्टी नेतृत्व ने अमरिंदर सिंह के विरोध की अनदेखी करते हुए सिद्धू का समर्थन करने का स्पष्ट संकेत दे दिया है।
पार्टी नेतृत्व को लगता है कि सिद्धू नई ऊर्जा और उत्साह के साथ पार्टी के प्रचार अभियान का नेतृत्व कर सकते हैं और अगले साल की शुरुआत में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं।
सिद्धू की भीड़ आकर्षित करने और जोरदार प्रचार अभियान शुरू करने की क्षमता ने उनके पक्ष में काम किया है क्योंकि पार्टी को लगता है कि सत्ता में साढ़े चार साल के बाद पार्टी पदाधिकारियों में आयी सुस्ती को दूर करके उनमें नई ऊर्जा का संचार करना आवश्यक है।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के समर्थन ने भी सिद्धू को कड़े प्रतिरोध के बावजूद यह पद हासिल करने में मदद की है। क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू के सामने अब पार्टी को एकजुट करने और पुराने नेताओं और दिग्गजों का विश्वास जीतने के अलावा पार्टी में एकजुटता लाने की चुनौती है।
(Disclaimer: यह खबर सीधे सिंडीकेट फीड से पब्लिश हुई है. इसे Rang De Basanti टीम ने संपादित नहीं किया है.)