चैन से सोना है तो जाग जाओं

हाथ में तस्बीह मुंह के पाकिस्तान का जाप करने वाले गिरोह के दो सदस्य काजी जहांगीर आलम और मोहम्मद उमर गौतम को उत्तर प्रदेश एटीएस टीम ने गिरफ्तार किया है। गिरोह पर अब एक हजार हिन्दू लोगों को धर्मांतरण करके मुस्लिम बनाने का आरोप है। इन्हें पाकिस्तान की खुफियां एजेंसी आई एस आई और विदेशी फंडिंग होती थी।  एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने सोमवार को लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसकी जानकारी दी।

जब बड़े पैमाने हुए इस धर्मांतरण की खबर आई तो समस्त मुस्लिम जगत और इनके पीछे के मीडिया संस्थान एकजुट हो गये। किसी बरेलवी, किसी देवबंदी या आपस में कट कट कर मरने वाले शिया सुन्नी अहमदिया सब के सब एक सुर में बोले कि कुरान में जबरन धर्म परिवर्तन की कोई गुंजाईश नहीं है, लेकिन एक भी मौलाना मुफ्ती काजी मस्जिद मदरसे ने इनके खिलाफ फतवा जारी नहीं किया। अगर गुनाह है शरियत के अनुसार फतवें जारी करो वरना ये ढोंग बंद करों! लेकिन सब अन्दर अन्दर खुश है क्योंकि दोनों मौलानाओं और उनकी टीम ने बड़ी सफाई से काम किया, एक हजार लोगों को इस्लाम में बदल दिया। यानि आपके भाई, बंधू, माताओं और बहनों की नजरों में आपको काफिर बना दिया और काफिर का अंजाम आप जानते है।

समस्या जो है उसे अभी स्वीकार करना पड़ेगा क्योंकि जब एक अब्दुल की कथित दाढ़ी काटने का झूठा मामला सामने आता है तो समस्त इस्लामिक संस्थान मौलाना मुफ्ती काजी, इस्लामिक संगठन मुस्लिम नेता एक आवाज में एक सुर में इक्कठा हो जाते है। पर जब पालघर के गड़चिनचले गांव में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की पीट-पीटकर निर्मम हत्या कर दी जाती है कितने बाबा, कितने अखाड़े, कितने नागा, कितने निरंजनी सामने आये ?

आज दो मौलाना एक हजार लोगों का धर्मांतरण करते हुए पकडे गये ना जाने अभी और भी कितने छिपे हुए वेश में काम कर रहे है। पकड़े गये इन मौलानाओं की जमानत को ना जाने पीएफआई जैसे कितने संगठन कोर्ट में बड़े बड़े वकील खड़े कर देंगे। जो पाकिस्तान की आई एस आई पैसा लगाकर इनसे धर्मांतरण करा रही थी, “जैसा पुलिस का कहना है” तो वो आई एस आई पैसा लगाकर इन्हें बाइज्जत बरी भी करा लेगी। इनके मीडिया संस्थान जैसे बीबीसी ने तुरंत पूरा आर्टिकल छापकर बता दिया कि दोनों मौलाना मासूम है और उत्तर प्रदेश में चुनाव को देखते हुए यह सब किया जा रहा है।

खैर दोनों मौलाना थे ये पकडे गये इनकी जगह दुसरे आ जायेंगे, वो पकडे जायेंगे तीसरे आ जायेंगे। अब मौलाना बनने के लिए कोई तपस्या तप साधना तो करनी नहीं, जैसी खबर आती कि कुछ आतंकी तैयार करते है, कुछ लव जिहाद को बढ़ावा देते है, कुछ हिंसा को उकसाते है तो कुछ धर्मांतरण करा रहे है। लेकिन सवाल ये है कि दो साधुओं की हत्या हो या मंदिर के तोड़े जाने की घटना या अब एक हजार हिन्दू समुदाय के लोगों को धर्मांतरण होना कितने अखाड़े सामने आये? क्या स्वतंत्र सत्ता स्थापित करने वाले संतों में ब्रह्माकुमारी के लोग सामने आयेंगे ?सत्यसांई बाबा वाले, महर्षि महेष योगी, श्रीश्री रविशंकर, आनंदमार्ग के आनंदमूर्ति, राधा स्वामी सत्संग के लोग, जय गुरूदेव बाबा वाले, कल्कि वाले आचार्य प्रमोद कृष्णम सामने आयेंगे?  धीरेंद्र ब्रह्मचारी बोलेगा सुखविंदर कौर उर्फ राधे मां आन्दोलन करेगी? सच्चिदानंद गिरि वाले, गुरमीत सिंह डेरा सच्चा सौदा वाले, निर्मल बाबा समोसा खाकर दूसरे का भाग्य बता देते है क्या ये नहीं पता था कि एक हजार लोगों का धर्म परिवर्तन हो गया. इसके अलावा इच्छाधारी भीमानंदन उर्फ शिवमूर्ति द्विवेदी के लोग हो या स्वामी असीमानंद। कथित त्रिकालदर्शी संत रामपाल, आचार्य कुशमुनि, मलखान गिरि, बृहस्पति गिरि आदि असंख्य स्वयंभू संत हैं।

इसके अलावा 13 अखाड़ें है, महंत है, मंडलेश्वर है, महामंडलेश्वर तथा शंकराचार्य है और इनसे जुड़े लाखो करोड़ो सन्यासी है, कहाँ है सब के सब? हरिद्वार वाराणसी उज्जेन नासिक प्रयागराज के फाइव स्टार आश्रम में लेटने वाले ये लोग क्यों अपने धर्म के लोगों पर होते अत्याचार पर मौन रहते है? वो सुबह सुबह टीवी चैनलों पर बैठकर लोगों की कुंडली देखने वाले लोगों पूरब पश्चिम जाने पर ज्ञान पेलने वाले वो जो नाम राशि देखकर भविष्य बताने वाले क्या वो ये नहीं देख पाए कि उनके नीचे से एक हजार गरीब लोग धर्म परिवर्तित कर दिए? माना कि कोई हिंसा उत्पात ना हमारा संविधान और सनातन धर्म की शिक्षा में नहीं लेकिन क्या मुंह भी नहीं खोल सकते? क्या काट नहीं सकते तो क्या फुंकार भी नहीं मार सकते, क्या ये लोग सिर्फ कुम्भ में शाही स्नान करने के लिए है? ये सवाल इसलिए क्योंकि हिन्दुओं के मेहनत की कमाई इन्हें धर्म रक्षा और उसके प्रचार के लिए मिलती है तो ये सवाल बन जाते है?

क्योंकि जब शिया नेता वसीम रिजवी कुरान की 26 विवादित आयतों को हटाने के बारे में सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका देता है सब मौलाना खड़े होकर फतवें जारी कर देते है? जब गायक सोनू निगम या इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने अपने घर के पास मस्जिद से अजान के नाम पर होने वाले शोर-की शिकायत करती है तो आसमान टूट पड़ता है! मंदिर में किसी आसिफ को पानी नहीं पीने देने पर नरसिम्हानन्द पर गाज गिर जाती है, पूरा देश सर पर उठा लिया जाता है, नरसिम्हानन्द के खिलाफ फतवों की बाढ़ आ जाती है लेकिन एक अखाडा एक महंत एक मंडलेश्वर महामंडलेश्वर एक शंकराचार्य उसके पक्ष में खड़ा होता नहीं दिखाई देता?

इस चुप्पी के कारण अफगानिस्तान चला गया । पाकिस्तान चला गया, कश्मीर आधा बचा है आधा भी क्या बस जम्मू के कुछ जिले बचें है । बंगाल का हाल केरल का हाल सब जानते है कई राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो चला है बाकि राज्यों में ईसाई मिशनरीज और कथित मौलाना भूखे भेडियों की तरह घात लगाये बैठे है। लव जिहाद, जमीन जिहाद, ये जिहाद, वो जिहाद कर रहे है। चुपके से एक हजार महिलाओं को बच्चों को गटक जाते है, लेकिन किसी अखाड़े गुरु बाबा का कोई फतवा नहीं आता।

ये चुप्पी शानदार है क्योंकि पूर्वी जर्मनी ने कभी शिकायत नहीं की कि उसे पश्चिमी जर्मनी निगल रहा है। पश्चिमी जर्मनी ने कभी शिकायत नहीं की कि उसे नॉटो  निगल रहा है। सब समय का ऐसा प्रवाह साबित हुआ, जैसे कभी कुछ हुआ ही न हो हमारे साथ भी वही हो रहा है। क्योंकि ये अपनी संख्या इसी कारण बढ़ा रहे है क्योंकि इनका अपना लक्ष्य है जिसे इन्हें अचीव करना है। ये सांस्कृतिक मैच है जिसमें इन्हें गोल करना है। ये धार्मिक क्रिकेट टेस्ट मैच है जिसमें इन्हें चोके छक्के जड़कर अपनी सेंच्युरी बनानी है और मैच जितना है जैसे 1947 में जीता था।

इसमें इन्हें मदद कर रहे है हमारे संतो गुरुओं की चुप्पी और लुटियन्स मीडिया हाउस, जो पत्रकारों को एडीटर साब बना देते है। जिसके बाद सामूहिक रूप से ये खुद को सेकुलर, लिबरल, फेमिनिस्ट, लोकतांत्रिक, बनकर इनका साथ देते है। इसके अलावा किसी नापसंद घटना पर क्रोध और आक्रोश की एक अत्यंत तीव्र प्रतिक्रिया देने वाले इन्टॉलरेंस के खोजी विशेषज्ञ बन जाते है। बालीवुड के भांड, अरब देशों का पैसा वामपंथी पत्रकारिता का दिमाग आई एस आई का टारगेट इन लोगों को हिम्मत देता है।

क्योंकि इन्हें यकीन है कि एक न एक दिन भारत में इनके टाइप की कोई हुकूमत तामीर हो जाएगी उस दिन अंतिम हिन्दू को भी समाप्त किया जा चुका होगा। इसी अंत के परिणाम के हसीन सपनों के कारण इस्लामिस्ट भी इनके पड़ोसी हो लेते हैं क्योंकि उन्हें भी अपने सपनों पर पूरा यकीन है। लेकिन ये यकीन सिर्फ हमारी चुप्पी के कारण है क्योंकि हम सेकुलर है और वो मजहबी। अगर चैन से सोना है तो अभी जाग जाइये।

By-Rajeev Choudhary

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