ऑनलाइन ठगी कैसे होते है लोग शिकार ?

स्मार्टफ़ोन, इंटरनेट और सोशल मीडिया ने हमारी ज़िंदगी को पहले से आसान और मनोरंजक बना दिया है. लेकिन साथ में बढ़ चली परेशानी अपराध और ठगी. चूंकि ऑनलाइन-फ्रॉड या अपराध का हर मामला पुलिस में दर्ज नहीं होता, इसलिए कहना मुश्किल है दुनिया में हर दिन कितने लोग इस धोखाधड़ी और साइबर क्राइम का शिकार बनते हैं. लेकिन ऑनलाइन-फ्रॉड एक सच है जिसका कड़वा घूंट सारी दुनिया पीने के लिए विवश है. और सवाल बन रहा है क्या ऑनलाइन फ्रॉड और साइबर क्राइम को रोका जा सकता है?

दिल्ली से सटे फरीदाबाद में एक 17 साल की लड़की को लगभग 17 दिन के लिए उसके घर में डिजिटली अरेस्ट रखा गया. इस कारण परिवार के सदस्यों तक को यह बात नहीं पता चल सकी. ठगों ने उनका माइंड इस तरह हेक किया किया कनाडा जाकर पढने वाली लड़की उस अपराध को अपना अपराध मान बैठी जो ना उसने किया था और ना ही उसे इसकी जानकारी थी. इस दौरान उससे जमानत के नाम पर 2.5 लाख रुपए ऑनलाइन ठगों को ट्रांसफर भी कर दिए. यह केस दुनिया ने डिजिटल अरेस्ट का नाम दिया है.

दरअसल ठगों ने फरीदाबाद में रहने वाली 17 साल की लड़की को कॉल करके कहा कि कंबोडिया जा रहे एक पार्सल से उसका आधार नंबर लिंक है और पार्सल में कई फर्जी पासपोर्ट और अन्य कार्ड हैं. लड़की को बताया जाता है कि वह मानव तस्करी के अवैध कारोबार में संलिप्त है, ठगों ने जो कॉल किया वह फोन लखनऊ कस्टम अधिकारी बनकर किया.

लड़की डर गयी अब लड़की कुछ सोच पाती उससे पहले ही उसे एक दुसरे नम्बर से जोड़ दिया जाता है बताया जाता है उसे पुलिस थाने से जोड़ दिया गया है, आप ऑनलाइन अपनी रिपोर्ट दर्ज करा दे. जैसे ही लड़की को विडियो कॉल के माध्यम से जोड़ा गया उसे सामने वर्दी कई पुलिस अधिकारी नजर आये. लड़की को कहा गया कि वो इस दौरान किसी से बात ना करे ना ही किसी को इस बारे में बताये उसका केस अब सीबीआई के पास है और वह डिजिटल अरेस्ट है हताश परेशान और निराश लड़की डर गयी और उसने ऐसा ही किया.

लड़की के इस व्यवहार से उसके परिजनों को लगा कि वो पढाई की तैयारी कर रही है, क्योंकि पीड़िता को कुछ दिन बाद ही पढाई के लिए बाहर जाना था.  यह खेल 17 दिनों तक चलता रहा बाद में लड़की से जमानत के तौर पर ढाई लाख रूपये लिए गये फिर उसी कॉल डिसकनेक्ट की गयी. 17 दिन बाद कमरे से बाहर आई लड़की ने यह पूरा मामला अपने परिवार से शेयर किया और इसके बाद थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई.

हो सकता है कुछ लोग सोचे की लड़की कम समझदार थी या नाबालिग थी उसे शिकार बना लिया हम तो समझदार है हमारे साथ ऐसा कुछ नहीं होगा. तो दूसरा मामला भी सुन लीजिये बॉलीवुड एक्टर आफताब शिवदासानी पढ़े लिखे है मेच्योर है पिछले महीने की आठ अक्तूबर की बात है. एक अनजान नंबर से उनके फोन पर एक टेक्स्ट मैसेज आया, जिसमें उनसे बैंक से जुड़े केवाईसी यानि नो योर कस्टमर एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से बैंक या संस्थान किसी व्यक्ति की पहचान और पते को वेरीफाई करते हैं. तो आफ़ताब को भी यह डिटेल अपडेट करने को कहा गया. और केवाईसी अपडेट ना करने की स्थिति में उनका अकाउंट बंद किए जाने की बात भी इस मैसेज में थी. जिसके चलते आफ़ताब ने केवाईसी डिटेल अपडेट करने के लिए दिशा-निर्देशों को फॉलो किया और प्रोसेस पूरा होने के बाद उन्हें टेक्स्ट मैसेज मिला कि उनके अकाउंट से तक़रीबन डेढ़ लाख रुपये निकाल लिए गए हैं.

असल में इसी महीने प्राइम विडियो पर एक वेबसिरिज आई है इसका सीजन वन है वेब शो का नाम है “हैक क्राइम्स ऑनलाइन” इस शो यही सब दिखाया गया है कि आज हर किसी का बैंक अकाउंट ऑनलाइन है. उसकी प्रोफाइल सोशल मीडिया पर है. बस यही से हैकर्स सोशल मीडिया खातों को हैक करते हैं, ब्लैकमेल करते हैं और कम्पनियों के खिलाफ रैंसमवेयर हमले करने जैसे खतरनाक साइबर क्राइम को अंजाम देते हैं. सीरीज बताती है कि लोगों पर हर समय 24 घंटे निगरानी की जा रही है. यह शो इस बात पर जोर देता है कि हैकर्स की कोई आयु सीमा नहीं होती है और वह किसी व्यक्ति से पैसे ठगने के लिए कई रणनीतियों का उपयोग करते हैं. यहाँ तक कि किसी को आत्महत्या तक भी उकसा सकते है.

दरअसल ये वेबसिरिज बढ़ते साइबर अपराध और ठगी को ध्यान में रखकर बनाई है. आप देखिये कैसे और किन तरीको से यह लोग अपना शिकार चुनते है. महाराष्ट्र की 48 साल की एक महिला घर में कुछ बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती हैं, एक दिन अचानक उन्होंने ऑनलाइन दुनिया का सहारा लेकर एक्स्ट्रा इनकम के सर्च करना शुरू किया. इसके लिए उन्होंने कई वेबसाइट्स पर विजिट किया. इसके बाद उन्हें अच्छी नौकरी का ऑफर मिला, जिसमें उन्हें अच्छी सैलरी का भी ऑफर दिया.

ऑनलाइन सर्चिंग के बाद उन्हें जिस जॉब का ऑफर मिला, उसमें उन्हें घर बैठे यानी वर्क फ्रॉम होम करने को कहा. यह एक पार्ट टाइम जॉब थी, जिसकी वजह से वह घर हुए होम ट्यूशन के काम को भी जारी रख सकती थीं. यह पूरा काम ऑनलाइन था और महिला को बड़ा ही आसान लगा.

ठगों ने महिला को बताया कि इस पार्ट टाइम जॉब में उन्हें कुछ ऑनलाइन लिंक प्रोवाइड किए जाएंगे. इसमें अलग-अलग सोशल मीडिया लिंक होंगे. हर एक लिंक पर क्लिक करके कमाई की जा सकती है. इसके लिए उन्हें एक टेलीग्राम ग्रुप से कनेक्ट होने के लिए कहा. 

महिला का भरोसा जीतने के लिए साइबर ठगी करने वालों ने पहले 1,000 रुपये और फिर 1,400 रुपये का रिटर्न दिया. एक बार भरोसा जीतने के बाद महिला को ज्यादा का लालच दिया. इसके बाद महिला 5 लाख रुपये इनवेस्ट करने को सहमत हो गई. लेकिन इनवेस्टमेंट करने के बाद उन्हें कुछ भी रिटर्न नहीं मिला और फिर उन्हें समझ समझ आया कि वह ऑनलाइन ठगी का शिकार हो गईं. यह केवल एक मराठी महिला की बात नहीं है वीडियो, सोशल मीडिया पोस्ट और सेलिब्रिटी के पोस्ट आदि को लाइक करने के बदले कमाई का ऑफर दिया जाता है. इस स्कैम के कई लोग शिकार हो चुके हैं. 

यह केवल आम लोगो की बात नहीं है गजब तो यह है कि इस जाल में खुद तकनीकी विशेषज्ञ भी फंस जाते है जिन्हें इसकी महारत हासिल है. दरअसल थोड़े समय पहले बेंगलुरु के दो तकनीकी विशेषज्ञ इस घोटाले के शिकार हुए. इनको लगभग 95 लाख रुपए का नुकसान हुआ है. दोनों ऑनलाइन काम में शामिल थे, फर्जी कंपनियों की ओर से अच्छे ऑफर मिले जिसके तहत उन्हें अतिरिक्त पैसे कमाने का मौका देने का वादा किया गया था. लेकिन बाद में 95 लाख लुटाकर पता चला की उनके साथ ऑनलाइन ठगी हो गयी.

दरअसल पहले छोटी राशि ली जाती है मुनाफा दिया जाता है लालच वश जब लोग बड़ी राशि का निवेश कर लेते हैं तो उन्हें कहा जाता है कि ज्यादा रिटर्न के लिए उन्हें और भी निवेश की जरूरत है. इस तरह ये चक्र चलता रहता है. पीड़ितों को अक्सर बहुत देर से यह एहसास होता है कि उनके साथ धोखा हुआ है. जब तक उन्हें ये बात पता चलती है तब तक घोटालेबाज गायब हो जाता. इस खेल में सबसे बड़ी बात यह होती है कि ऑनलाइन-फ्रॉड बहुत तेज़ी से होता है. यह लोग 5-10 मिनिट के भीतर आपका पैसा और सारा डेटा चुरा लेते है.

यहाँ एक खास बात ये भी है. कई बार देखा जाता है कि वो लोग जिनके अकाउंट खाली होते हैं या फिर उनके अकाउंट में पैसा काफी कम होता है. वो लोग इस बात से लापरवाह रहते हैं. उन्हें लगता है कि जब अकॉउंट में पैसा ही नहीं है तो फिर ठगी कहां से होगी? तो फिर आप एक बात जान लें कि आप बहुत बड़ी गलतफहमी में है. जी हां, अगर आपके पास पैसे नहीं हैं तो भी आप लाखों के फ्रॉड का शिकार हो सकते हैं. क्या आप भी ऐसा ही सोचते हैं? तो आपको बता दें कि ऐसा कहने वालों के लिए यह खतरे की घंटी है. क्योंकि साइबर क्राइम इस हद तक आगे बढ़ चुका है कि आपके चंद पैसों के खाते से भी आपको लाखों का चूना लगाया जा सकता है. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है. तो आपको बता दें कि यह बात हम हवा में नहीं कह रहे. बीते महीनों इसी से जुड़ा एक मामला सामने आया था.

बीते महीनों एक ऐसी महिला का मामला सामने आया था जिसके खाते में जीरो बैलेंस था. लेकिन उसके साथ हजारों रुपये की धोखाधड़ी हो गई. दरअसल इस महिला ने अपने अकाउंट से ट्रेन का टिकट बुक किया था, जिसके बाद किसी कारणवश उसने टिकट कैंसिल कर दिया. जब उसने अपने खाते की जांच की और पाया कि पैसे वापस नहीं आए हैं, तो महिला ने तुरंत गूगल बाबा से मदद मांगी और वहां पर दिखाई दे रहे एक नंबर पर तुरंत से फोन घुमा दिया.

बस महिला की सबसे बड़ी गलती यही थी. जिसके बाद महिला को एक लिंक भेजा गया. फिर उसे लिंक पर क्लिक करने के लिए कहा, जैसे ही महिला ने लिंक पर क्लिक किया, उधर जालसाजों ने उसके फोन का क्लोन कर लिया. देखते ही देखते महिला के एक दूसरे खाते से करीब तीन लाख रुपये निकाल लिए गए. इसके बाद महिला के क्रेडिट कार्ड से लाखों का लोन भी ले लिया गया. ऐसे में महिला को अपने खाली अकाउंट की डिटेल्स देना काफी भारी पड़ गया.

अगर आपको लगता है यह बहुत कम मामले है तो सुनिए पिछले थोड़े समय में करीब 39 प्रतिशत भारतीय परिवार पिछले तीन साल के दौरान ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार बने हैं. लोकल सर्किल्स की सर्वे में 23 फीसदी लोगों ने कहा कि वे क्रेडिट या डेबिट कार्ड धोखाधड़ी का शिकार बने. वहीं 13 फीसदी का कहना था कि उन्हें खरीद, बिक्री और वेबसाइट उपयोगकर्ताओं द्वारा धोखा दिया गया.

सर्वे के अनुसार, 13 फीसदी लोगों का कहना था कि वेबसाइट द्वारा उनसे पैसा ले लिया गया, लेकिन उत्पाद नहीं भेजा गया. 10 फीसदी ने कहा कि वे एटीएम कार्ड धोखाधड़ी का शिकार बने. अन्य 10 फीसदी ने कहा कि उनके साथ बैंक खाता धोखाधड़ी की गई. वहीं 16 फीसदी ने बताया कि उनको कुछ अन्य तरीके अपनाकर चूना लगाया गया.

आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि सर्वे में शामिल 30 फीसदी परिवारों में से कोई एक सदस्य वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार बना है. वहीं 9 फीसदी ने कहा कि उनके परिवार के कई सदस्य इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार बने.

57 फीसदी का कहना था कि वे और उनके परिवार का कोई भी सदस्य इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार बनने से बच गए. चार फीसदी ने इस बारे में स्पष्ट रूप से अपनी राय नहीं बताई. सर्वे में देश के 331 जिलों के 32,000 लोगों की राय ली गई. इनमें 66 फीसदी पुरुष और 34 प्रतिशत महिलाएं थीं.

अगर अभी आपको लगता है यह सब मात्र कुछ घटना है तो आपको बता दे कि दिसम्बर 2021 में देश के प्रधानमंत्री पीएम मोदी का ट्विटर अकाउंट हैक, कर लिया गया था, जिसके बाद डोनेशन माँगा गया. इसके अलावा बिल गेट्स, जेफ़ बेज़ोस, एलन मस्क जैसे बड़े मह्राथियों तक को हैकर्स ने निशाना बनाया है. क्योंकि ऑनलाइन फ्रॉड का दायरा उतना ही बड़ा है जितनी बड़ी हमारी ये पृथ्वी. पैसा चोरी होकर कहां गया, इसका पता लगाते लगाते एक वक्त ऐसा आता है जब आपको पता चलता है कि अब कुछ नहीं हो सकता. यदि ’ऑनलाइन फ्रॉड करने वाला संयुक्त अरब अमीरात में बैठा है, या उसने ऑनलाइन पैसे चुराकर वहां के किसी बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए हैं, तो वहां उस बैंक से कोई मदद नहीं मिलती, ना हीं वहां की पुलिस इसमें कोई सहायता करती है. यानि अपराधी हमेशा रहेंगे, हम उन्हें पूरी तरह से रोक नहीं सकते. लेकिन उनसे निपटने के तरीकों को बेहतर बनाया जा सकता है या फिर सावधानी बरती जा सकती है….

Rajeev Choudhary

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