पौड़ी से सांसद रावत इसी साल 10 मार्च को मुख्यमंत्री बने थे। रावत को अपने पद पर बने रहने के लिए 10 सितंबर तक विधानसभा चुनाव जीतना था।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार (2 जुलाई 2021) की देर रात राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफे की वजह संवैधानिक संकट बताई जा रही है। शनिवार को भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। इसमें नए नेता का चुनाव होने की उम्मीद है।
इससे पहले रावत शुक्रवार को दिल्ली पहुँचे थे। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद वे शाम के वक्त राजधानी देहरादून लौट आए। इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने अपने संक्षिप्त कार्यकाल के काम गिनाए। लेकिन इस दौरान उन्होंने इस्तीफे को लेकर कोई बात नहीं कही। एएनआई के मुताबिक देर रात राजभवन पहुँच उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
क्या है इस्तीफे की वजह
संवैधानिक नियमों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति के लिए मंत्री पद ग्रहण करने के छह महीने के भीतर सदन का सदस्य चुना जाना अनिवार्य है। वर्तमान में रावत राज्य के किसी भी सदन के नेता नहीं हैं। इसी को आधार बनाकर तीरथ सिंह रावत ने नड्डा को इस्तीफे की पेशकश की थी। भेजे गए पत्र में तीरथ सिंह ने कहा था, “आर्टिकल 164-ए के हिसाब से उन्हें मुख्यमंत्री बनने के बाद 6 महीने के अंदर विधानसभा का सदस्य बनना था। लेकिन, आर्टिकल 151 कहता है कि अगर विधानसभा चुनाव में एक साल से कम का समय बचता है तो वहाँ उपचुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। उतराखंड में संवैधानिक संकट न खड़ा हो, इसलिए मैं मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना चाहता हूँ।”
पौड़ी से सांसद रावत इसी साल 10 मार्च को मुख्यमंत्री बने थे। रावत को अपने पद पर बने रहने के लिए 10 सितंबर तक विधानसभा चुनाव जीतना था। राज्य में विधानसभा की दो सीटें गंगोत्री और हल्द्वानी खाली हैं, जहाँ उपचुनाव होना है। कहा जा रहा था कि रावत गढ़वाल क्षेत्र में स्थित गंगोत्री सीट से उपचुनाव लड़ सकते थे। लेकिन अगले साल फरवरी-मार्च में ही विधानसभा चुनाव को देखते हुए माना जा रहा है कि निर्वाचन आयोग उपचुनाव अलग से नहीं कराएगा।
पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद रहेंगे केंद्रीय मंत्री तोमर
नए मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा विधायकों की बैठक करेगी, जिसमें उनका नेता चुना जाएगा। विधानमंडल की बैठक शनिवार दोपहर 3 बजे होगी। सभी भाजपा विधायकों को सुबह 11 बजे तक देहरादून पहुँचने के निर्देश दिए गए हैं। इस दौरान केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद रहेंगे। प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम व रेखा वर्मा भी मौजूद रहेंगे।
मुख्यमंत्री पद की दौड़ में कई नाम
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार तीरथ सिंह रावत की जगह लेने के लिए कई नाम चर्चा में हैं। इस सूची में सबसे पहला नाम उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का है। त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद भी धन सिंह रावत का नाम उछला था, लेकिन कुर्सी तीरथ सिंह रावत को दी गई थी। श्रीनगर सीट से विधायक धन सिंह आरएसएस कैडर हैं और उत्तराखंड बीजेपी में संगठन मंत्री भी रह चुके हैं। धन सिंह के अलावा तीरथ सरकार में मंत्री बंशीधर भगत, हरक सिंह रावत के नाम की भी चर्चा है। इसके अलावा, सतपाल महाराज का नाम भी उछल रहा है।
तीरथ सिंह का राजनीतिक सफर
तीरथ सिंह रावत भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। साथ ही वह जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। 56 वर्षीय तीरथ सिंह रावत वर्तमान में गढ़वाल से सांसद हैं। इससे पहले उन्हें साल 2007 में भाजपा उत्तराखंड इकाई का महामंत्री चुना गया। इसके बाद उन्हें प्रदेश भाजपा चुनाव अधिकारी और प्रदेश सदस्यता अभियान का प्रमुख का पदभार दिया गया। उन्हें दैवीय आपदा प्रबंधन समिति का अध्यक्ष भी चुना गया था
साल 2000 से 2002 तक वह उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री रहे। साल 2012-2017 में चौबट्टाखाल विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे। वह फरवरी 2013 से दिसंबर 2015 तक उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। 2017 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया। उन्हें लोकसभा चुनाव 2019 में हिमाचल प्रदेश का चुनाव प्रभारी भी बनाया गया था।